रघुनाथ मंदिर-यह मंदिर सुल्तानपुर में राजमहल के साथ स्थित है। मंदिर के साथ यह कथा जुड़ी है की राजा जगत सिंह के शासन काल के दौरान के साथ यह कथा जुड़ी हैं कि राजा जगत सिंह के शासन काल के दौरान कुल्लू के टिप्परी गांव में दुर्गादत्त नाम का ब्राम्हण अपने परिवार के साथ रहता था। राजा के कुछ दरबरियों ने राजा के कान में यह झूठी बात डाल दी थी कि इस ब्राम्हण के पास काफी मोतियों का खजाना है। कहते हैं कि राजा व उसके अधिकारी जब मणिकर्ण से वापिस आ रहे थे तो ब्राम्हण ने अपनी झोंपड़ी में आग लगा ली और परिवार सहित जल गया। राजा को बाद में जब सच्चई पता चला तो उसे बहुत दुःख हुआ। राजा को सदा निरपराध ब्राम्हण की हत्या का ख्याल आता था। अंतत: इस प्रकोप से बचने की लिए किसी महात्मा ने राजा को अयोध्या से रघुनाथ जी की मूर्ति कुल्लू लाकर स्थापित करने की सलाह दी तभी राजा ब्राम्हण हत्या से मुक्त हो सकता था। महात्मा के दामोदर नाम के शिष्य ने अयोध्या से रघुनाथ जी की मूर्ति लाई और राजमहल के पास एक मंदिर में स्थापित कर दी थी। राजपाठ सहित राजा रघुनाथ जी का अनन्य भक्त बन गया और ब्राम्हण हत्या से मुक्त हुआ। रघुनाथ जी का ही कालांतर में कुल्लू में अधिपत्य रहा।
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